टाॅयलेट का अविष्कार कब और किसने किया और भविष्य में कैसी टाॅयलेट आने वाली है?

टाॅयलेट का अविष्कार कब और किसने किया ? | Who Invented Toilet ?


टॉयलेट्स सदैव से हमारे रोजमर्रा ज़िन्दगी का एक प्रमुख हिस्सा रहें हैं,
फ्लशिंग टॉयलेट्स के द्वारा हमारी ज़िन्दगी बहुत सुविधासंपन्न हो गयी है,

टॉयलेट्स का इतिहास-

1. साधारण टॉयलेट- साधारण टॉयलेट्स का कोई अविष्कारक नहीं माना जा सकता या ये मान लिजिए कि ध्यान में नहीं है क्योंकि सन् 2800 ईसापूर्व की कई सभ्यताओं में टॉयलेट्स के उपयोग के साक्ष्य प्राप्त हो चुकें हैं,

ये 's' आकार वाले सामान्य टॉयलेट्स थे जिनके साक्ष्य रोमन, हड़प्पा, मोहेन्जो-दारो, सिन्धु घाटी सभ्यताओं की खुदाई के दौरान प्राप्त हुए हैं.

अतः सामान्य टॉयलेट्स का अविष्कार बहुत पहले ही हो चूका था जिसके अविष्कारक का पता होना बहुत मुश्किल है।

2. फ्लशिंग टॉयलेट्स- फ्लशिंग टॉयलेट्स के जन्मदाता जॉन हर्रिंगटन माने जाते हैं, जिन्होंने महारानी एलिज़ाबेथ प्रथम के लिए इस टॉयलेट को इजाद किया था, यह टॉयलेट धरती पर सबसे पहले महारानी के महल रिचमंड पैलेस में लगाया गया था,

फ्लशिंग टॉयलेट का सबसे पहला पेटेंट सन् 1775 में एलेग्जेंडर कम्मिंग्स के नाम पर हुआ था.

टाॅयलेट का भविष्य क्या है. मतलब, आगे कैसी-कैसी टाॅयलेट आने वाली है ?


आज दुनिया के केवल 40% आबादी के पास ही फ्लशिंग टॉयलेट हैं बाकी के पास सामान्य जटिल सरंचना वाले टॉयलेट..
यानि कि दुनिया की 15 प्रतिशत जनता यानी 1 बिलियन व्यक्ति आज भी खुले में शौच करते हैं...

खुले में शौच- इस मामले में भारत की आबादी अग्रणी है क्योंकि भारतीय आबादी का हर तीसरा यानि करीब 490 मिलियन व्यक्ति खुले में शौच करते हैं।

खुले में शौच करने के मामले में इंडोनेशिया (54 मिलियन ), पाकिस्तान ( 41 मिलियन ),
नाइजीरिया ( 39 मिलियन ),
इथियोपिया ( 34 मिलियन) व सूडान ( 17 मिलियन ) भारत से पीछे हैं!

टॉयलेट का भविष्य- आप टॉयलेट में जाते हैं, कोमोड ढक्कन उठाते हैं और उस पर बैठ जाते हैं...
सर्दी के दिनों में कोमोड अधिक ठंडा होता है जिससे इस पर बैठना मुश्किल हो जाता है... आखिर में फ्लश करते हैं..

इन सब सुविधाओं के होने के पश्चात् हम सुविधाहीन होना महसूस करते हैं...
क्यों? क्योंकि हमें और अधिक सुविधा चाहिए...

क्या हम जिन सुविधाओं की उम्मीद करते हैं वो हमें कभी निकट भविष्य में मिलेंगी?
  • जरा सोचिये कि आप बाथरूम में जाते हैं, हाथ में मोबाइल है... जैसे ही आप टॉयलेट सीट पर बैठते हैं, टॉयलेट आपके वजन और शरीर की सरंचना के आधार पर एडजस्ट हो जाता है...
  • यह आपके मूड के अनुसार संगीत बजाना शुरू कर देता है जिससे आप काफी कम्फर्ट महसूस करने लगते हैं...
  • यह अपना ढक्कन अपने आप खोल देता है जिससे आपको कीटाणुओं के छूने का डर ना रहे.
  • अगर सर्दी के दिन हैं और यह ठंडा है तो यह अपने आप ही तापमान को अनुकूल सेट कर देता है।
  • यह आपको ऑटोमेटिक Wash & Dry करता है तथा Flush भी आटोमेटिक करता है...
तो क्या यह सब संभव है?
हाँ, यह सब कुछ सम्भव है और निकट भविष्य में जल्दी ही सारी सुविधाएं हम तक भी पहुँच जायेंगी.

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