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Showing posts from November, 2017

Website Kiase Banaye

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Website Kaise Banaye Hello freiends, Aaj tak logo ne mujse sabse jayada baar 2 sawaal puche hai ek toh Free Website kaise banate hai or dusra Internet se paise kaise kamaye vo bhi ghar baithe. Aaj main aapko pehle sawaal ka jawab dene ja rha hu ki free me website kaise banaye. or dusre sawaal ka jawaab main aage dunga ki internet se paise kaise kamaye.  Agar aaple ander koi talent chipa hai or use duniya ke saath share karna chahte hai ya aap online business karna chahte hai toh aapko website banani hi padegi. Website banane ke liye jaruri nhi ki aapke pass computer hi ho Mobile se bhi kaam chal jaega. Ek baar try toh kare, Q ki try me koi burai nahi hai. Blog banane se pehle aapo kya-kya chaiye ye post padh kar I hope aapke saare doubt clear ho jaege. Chaliye ab start karte hai. Step 1 Sabse pehle www.blogger.com par jao agar aapke pass pehle se gmail account(Email ID) hai toh SignIn kare nahi toh pehle Gmail par ek account banaye.  Step 2 Ab aapke pass 2 option honge

Internet se Rupee Kaise Kamaye

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Internet se Paise Kaise Kamaye Facebook par status dala? Ha! Facebook par nayi ladkiyo ko dost banaya? Ha! Facebook se paise kamaye??? Nahi!!! Nikal gayi na hawa? Socha nahi na kabhi ki facebook par din bhar chipke rehne walo isse paise bhi kamaye ja sakte hai? hota hai dosto, aisa bhi hota hai. Facebook se paise kaise kamaye isi ke baare me detail me baat karege. Ummid hai aap ye post padh rahe hai toh aapke pass Facebook account bhi hoga agar nahi toh pehle hamari ye post padhe. Facebook se paisa kamana koi badi baat nahi hai vhi dusri taraf ye itna aasan bhi nahi hai. Paise kamane ke liye aapke pass ek facebook page hona chaiye. Agar nahi hai to pehle ek Facebook page banaye. Facebook Or Internet se paise kaise kamaye Facebook Page Banane ke baad Agla Step hota hai, Page ko promote karna. Page Ko Promote Karne ke liye Aap Apne friends & Family ko Page like karne ke liye invite kar sakte hain. Bade bade facebook group join karke vaha apne page ka promotion kar

यदि आज की तुलना मे co2 दोगुनी हो जाए तो क्या होगा? | What happened if Co2 doubled?

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यदि आज की तुलना मे co2 दोगुनी हो जाए तो क्या होगा? | What happened if Co2 doubled? दोस्तों वातारवरण में काॅर्बनडाई-ऑक्साइड लगातार बढ़ रही है, आज वातावरण में इतनी ज्यादा CO2 है जितनी पिछले 800,000 सालों में धरती की किसी एक जगह पर भी नही थी. तो आज हम आपको बताने जा रहे है कि अगर CO2 की मात्रा double हो जाए तो क्या-क्या बदलाव देखने को मिलेगे. 1. आज की तुलना में अगर कार्बन डाइऑक्साइड दोगुना हो जाए तो हमारे वातावरण का तापमान 2-4% सेलसियस तक बढ़ जायेगा। 2. आर्कटिक रीजन का भी तापमान बढ़ जायेगा.. और ग्लेशियर पिघलने लगेंगे। 3. Co2 की मात्रा दोगुना होने से हमारा lungs जल्द ही ख़राब हो जायेगा, क्योंकि co2 हवा में एक खतरनाक गैस के रूप में होता हैं। और हमारा lungs इतने ज्यादा co2 को हैंडल नही कर सकता और हम जल्द ही मर भी सकते हैं। 4. अगर हमारे खून में co2 की मात्रा 45 mm hg से ज्यादा हो जाये तो hypercapnia नामक बीमारी हो जाती हैं।। और जब ये बीमारी ज्यादा बढ़ जाए तो lungs ख़राब हो जाता हैं। 5. अगर co2 की मात्रा 10% तक हो जाए.. तो इंसान की मौत हो जाती हैं। 6. Co2 दोगुना होने से पौधे ज

BUSINESS Kaise Kare - Paise kaise kamaye?

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BUSINESS Kaise Kare - Paise kaise kamaye? India me bahut se log kam paison se apne business ki suruat to karna chahte hai, lekin unke ander ek dar sa bana rehta hai ki khi hamara plan fail na ho jaye. ya fir jankari na hone ki vajah se vo apna sapna pura nahi kar pate ya phir business suru karne ke baad bhi unhe nuksaan ka samna karna padta hai. By the way kya pata aap bhi unhi me se ek ho. Chalo koi baat nahi aaj hum aapko kuch aisi baate btaenge jinhe dyaan me rakh kar aap kam paison se apna business shuru kar sakte hai. Post ke end me hum aapko kuch business ideas bhi denge. Business kya hai? Iss baare me muje jyada btane ki jarurat nahi hai kyoki agar aap ye post padh rahe hai toh aapko business ke baare me thoda bahut toh pta hi hoga. Vaise mai bhi bta deta hu Dosto Business ek esa naam hai jo har koi janna chahta hai. Har safal aadmi ki kahaani uske business se hi suru hoti hai. Business Q Start Kare? Kuch din pehle ki baat hai main google par kuch search kar raha

क्या भारत के प्रधानमंत्री "मोरारजी देसाई" ने सच में खुद का पेशाब पीया था ?

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क्या भारत के प्रधानमंत्री "मोरारजी देसाई ने सच में खुद का पेशाब पीया था ? चौंकिए मत! ये बिल्कुल सच है कि हां, एक बार मोरारजी देसाई ने खुद का पेशाब पीया था। दरअसल, वो मूत्र चिकित्सा(urine therapy) का लम्बे समय से प्रैक्टिस कर रहे थे, और उन्हें पता चला की पेशाब बहुत-सी बीमारियों के खिलाफ लड़ने में सक्षम हैं। तो उनके अनुसार जो लोग मेडिकल ट्रीटमेंट कराने में सक्षम नही हैं उनके लिए खुद का पेशाब पीना बहुत सारे बीमारियों में लड़ने में मदद करेगा। उन्होंने लोगो को यही बात समझाने के लिए खुद का पेशाब पीया था। उनके इस बात का ज्यादा लोगो ने पालन तो नही किया, लेकिन मध्य प्रदेश के गाँव अमरपुर के लोगों ने उनके बातों का पालन किया। और वहा के लोग आज भी पिछले 20 सालो से अपने पेशाब का सेवन करते हैं। आपको शायद जान के हैरानी होगी की दुनिया की मशहूर गायिका मैडोना अपने त्वचा की समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए अपने पैरों पे पेशाब करती थी। और ये बात खुद उन्होंने 1993 में एक स्टेज शो में कही थी। नागपुर में एक सभा को संबोधित करते हुए नितिन गडकरी ने भी कहा था की वो हर रोज़ एक प्लास्टिक कैन में पे

अंतरिक्ष में जाने वाले राॅकेट सीधे जाने की बजाय घुमावदार रास्ते से क्यों जाते है? | Why Do Rockets Follow A Curved Trajectory While Going Into Space?

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अंतरिक्ष में जाने वाले राॅकेट सीधे जाने की बजाय घुमावदार रास्ते से क्यों जाते है? आपने आसमान में राॅकेट जाते हुए तो देखा ही होगा.. हाँ वही राॅकेट जो धुएँ की लंबी लाईन छोड़ता हुआ बड़ी तेजी से आगे बढ़ता है. आपने शायद नोटिस किया हो कि वो सीधा जाने की बजाय हमेशा घुमावदार रास्ते से जाता है तो आइए इसका जवाब जानते है कि ऐसा क्यों है? घुमावदार रास्ते से जाने से रॉकेट को कई फायदे होते हैं जैसे :- घुमावदार रास्ते से जाने से रॉकेट पे हवा का दवाब एकदम कम पड़ता हैं और रॉकेट को हवा का ज्यादा संघर्ष नही करना पड़ता हैं जिस से रॉकेट का काफी हद तक ईंधन बच जाता हैं। घुमावदार रास्ते से जाने के कारण रॉकेट ग्रेविटी के बहुत कम खिलाफ होता हैं जिस से इसे अपना दिशा बदलने में ज्यादा परेशानी नही होती। सीधे रास्ते पे जाने से रॉकेट पे हवा का काफी दबाव पड़ता हैं.. और इसलिए रॉकेट को ज्यादा संघर्ष करना पड़ता हैं और इस से इसके ईंधन खत्म होने का ज्यादा chance रहता हैं। घुमावदार रास्ते से इन्हें थोड़ा लंबा तो पड़ता है लेकिन फिर भी ईंधन वगैरह बच जाता है तो फायदा ही होता है. Some Important Points of Rocket

अगर गुरूत्वाकर्षण बल दोगुना हो जाये तो क्या होगा? | What Would Happen If Gravity Doubled?

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अगर गुरूत्वाकर्षण बल दोगुना हो जाये तो क्या होगा? | What Would Happen If Gravity Doubled? मैं आपको बताता हूँ की क्या होगा अगर आज की तुलना में ग्रेविटी डबल हो जाए तो.. 1. हमारे heart को ज्यादा काम करना पड़ेगा.. heart को हर रोज़ दोगुना खून poomp करना पड़ेगा.. जिस से हार्ट फ़ैल होने का भी खतरा रहेगा 2. आज की तुलना से हर कुछ मुश्किल जो जायेगा.. हमे कोई भी काम करने के लिए आज की तुलना से ज्यादा शक्ति लगेगा.. जैसे:- एक ग्लास पानी का वजन आज की तुलना से दोगुना हो जायेगा.. और उसे उठाने के लिए हमे दोगुना ताकत भी लगाना पड़ेगा. 3. ग्रेविटी डबल होने से :- जितनी भी बिल्डिंग है,ब्रिज है.. सबका वजन दोगुना हो जायेगा.. उस पे चलने वाली वाहनों का भी वजन दोगुना हो जायेगा.. और आज के समय की बिल्डिंगों को या ब्रिजों को आज के ग्रेविटी के हिसाब से ही design किया गया है,तो ग्रेविटी डबल होने से धीरे-धीरे सारे बिल्डिंग और ब्रिजस टूट जायेंगे.. 4. वाहनों का वजन भी दोगुना हो जायेगा ... और इतने वजन को वाहन की suspension ज्यादा समय के लिए बर्दाश्त नही कर सकती.. वाहन का वजन बढ़ने से fuel की भी ज्यादा खपत ह

मरने से पहले एक काॅकरोच अपने पीठ के बल क्यों हो जाता हैं? | Why Do Cockroaches Die On Their Backs?

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मरने से पहले एक काॅकरोच अपने पीठ के बल क्यों हो जाता हैं? | Why Do Cockroaches Die On Their Backs? आपने देखा होगा कि काॅकरोच को चाहे काले हिट से मार लो या चप्पल से मार लो ये मरने से just पहले उल्टा यानि पीठ के बल हो जाता है. जब मैनें ये बात obserb की तो उत्तर की तलाश में निकल पड़ा. और इंटरनेट पर जो कुछ पढ़ने को मिला वो आपके साथ साझा करने जा रहा हूँ. प्राकृतिक रूप से ही एक काॅकरोच का पैर अंदर की तरफ मुड़ा हुआ होता हैं लेकिन पैर में नर्व्स और खून के बहाव के कारण ये अपने पैर को बड़ी मुश्किल से नीचे की तरफ सीधा कर पाता हैं। लेकिन जब एक काॅकरोच उम्र हो जाने या खाने की कमी से मरने लगता हैं तो इसके पैर में खून की कमी हो जाती हैं जिस से इसका पैर अंदर की तरफ मुड़ने लगता हैं और ये पीठ की बल गिर जाता हैं। या फिर जब ये किसी कीटनाशक दवा की वजह से मरता हैं तो ये दवा पहले इसके नर्वस सिस्टम को ही खत्म करती हैं और जैसे ही इसके पैर का नर्व्स खत्म होता हैं ये अपने पीठ के बल गिर जाता हैं। इसका पैर भी बहुत कमजोर होता हैं, इसके पैर में इतना ताकत नही होता हैं की ये अपने भारी भरकम वजन को सह पाये

कुछ अंतरिक्ष यात्री सफ़ेद तो कुछ नारंगी रंग का spacesuit क्यों पहनते हैं?

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कुछ अंतरिक्ष यात्री सफ़ेद तो कुछ नारंगी रंग का spacesuit क्यों पहनते हैं? आपने देखा होगा कि कुछ अंतरिक्ष यात्री सफेद रंग का सूट पहने होते है तो कुछ नारंगी रंग का (नारंगी सूट पहने हमने ज्यादातर कल्पना चावला को ही देखा है) तो ये दो अलग अलग रंग के सूट क्यों पहनते है ? दरअसल, दोनों spacesuit का अपना एक अलग पहचान होता हैं। Orange spacesuit को advanced crew escape(ACE) सूट कहते हैं जबकि सफ़ेद spacesuit को extravehicular activity(EVA) सूट कहते हैं। सूट के ऑरेंज कलर को international orange रंग कहते है। ऑरेंज सूट स्पेस में जाने वक़्त और स्पेस से वापिस धरती पे आने वक़्त भी पहना जाता हैं, ताकि अगर जाने या आने समय दुर्घटना हो जाए तो अंतरिक्ष यात्री को उसके सूट के रंग से आसानी से पहचाना जा सके। एक कारण ये भी है कि ओरेंज रंग कही भी आसानी से दिख जाता हैं। ऑरेंज सूट में वो सारा सामान होता हैं जिस से अंतरिक्ष यान की दुर्घटना होने पे एक अंतरिक्ष यात्रि की जान बच जाये। जैसे:- इस सूट में एक पैराशूट भी होता है ताकि अंतरिक्ष यान के दुर्घटना होने पे अंतरिक्ष यात्री अपनी जान बचा सके। इसमें एक ला

अगर धरती से गुरूत्वाकर्षण बल खत्म हो जाए तो क्या होगा? | What Would Happen If Gravity Stopped?

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अगर धरती से गुरूत्वाकर्षण बल खत्म हो जाए तो क्या होगा? शुरुआत मैं यहाँ से करना चाहूँगा की ऐसा तो शायद हो नही सकता की धरती पे गुरुत्वाकर्षण बल खत्म हो जाये... लेकिन अगर ऐसा हो भी गया तो धरती पे ये तमाम बदलाव देखने को मिलेंगे.. 1.  जैसे ही गुरुत्वाकर्षण बल ख़त्म होगा धरती पर मौजूद सभी चीज़ों का mass जीरो हो जायेगा और सभी हवा में तैरने लगेंगे. 2. Equator पर पृथ्वी का rotational स्पीड है करीब 465m/s.. और पृथ्वी का radius करीब 6400km.. तो nasa के astronaut के मुताबिक अगर गुरुत्वाकर्षण बल 5 सेकंड के लिए ख़त्म हो गया.. तो हम लोग जमीन से औसतन 40-60 cm ऊपर तक हवा में उड़ेगे. 3. हमें कुछ भी सुनाई नही देगा. और आप सांस भी नही ले पाएगे. 4. आपका शरीर इतना ज्यादा गर्म हो जाएगा कि आज से पहले कभी नही हुआ होगा. 5. नदियों और समुद्र में उफ़ान देखने को मिलेगा. इन सब का पानी कुछ मीटर ऊपर तक चला जायेगा. 6. धरती फट जाएगी. क्योंकि ग्रेविटी की वजह से ही ये आपस में जुड़ी हुई है. 7. हमारा Atmosphere यानि वातावरण पूरी तरह से नष्ट हो जाएगा. 8. धरती के अंदर जितने भी लावा मौजूद है.. सब

क्या आप एक चम्मच दालचीनी निगल सकते हो ?| Why Impossible to Swallow Cinnamon ?

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दालचीनी को निगलना असंभव क्यों हैं? पाउडर के रूप में होने के कारण दालचीनी हमारे मुँह में जाते ही हमारे मुँह के लार(saliva) को absorb कर लेता हैं। और दालचीनी के अंदर बहुत ज्यादा मात्रा में cinaamaldehyde नाम का तत्त्व रहता हैं जो हमारे मुँह के अन्दर लार बनाने वाले ग्लैंड को ब्लॉक कर देता हैं और लाड़ बनने ही नही देता हैं। जैसा की हम जानते हैं की किसी भी चीज़ को निगलने में लार हमारी बहुत हद तक मदद करता हैं, और हमारे मुँह में लार की कमी हो जाने से हम दालचीनी को निगल नही सकते। लार की कमी होने के कारण दालचीनी हमारे मुँह, जीभ और गले में चिपक जाती हैं। जिस से हमारा मुँह और गला सुख जाता हैं और हमे साँस लेने में परेशानी होने लगती हैं। और ये ज्वलनशील भी होती हैं,  यही कारण हैं की जब कोई दालचीनी निगलने की कोशिश करता हैं तो उसे chocking, gaggling और vomiting जैसी समस्या होती हैं। 2001 में cinnamon challenge के नाम से एक ऑनलाइन चैलेंज भी शुरू हुआ था, जिस में आपको 60 सेकेंड के अंदर एक चमच्च दालचीनी पाउडर को बिना किसी liquid की मदद से निगलना होता था.. और इसे कैमरे में शूट कर के इंटरनेट पे

कंप्यूटर से Delete होने पर फाइलें जाती कहाँ है ? | Where Do Permanently Deleted Files Go in Computers?

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कंप्यूटर से Delete होने पर फाइलें जाती कहाँ है ? | Where Do Permanently Deleted Files Go in Computers? हम अपने कंप्यूटर या मोबाइल में किसी भी यूजलेस चीज को नही रखते, जिस चीज का काम खत्म उसे तुरंत डिलीट कर देते है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये चीजें डिलीट होने पर जाती कहाँ है ? जब हम computer पर पहली बार किसी फ़ाइल को delete करते हैं तो वो फ़ाइल recycle bin या trash में चला जाता हैं (ये आपके कंप्यूटर के ऑपरेटिंग सिस्टम पे निर्भर करता हैं)। लेकिन जब हम उस फ़ाइल को वहाँ से भी डिलीट कर देते हैं तो उस फ़ाइल का पहला character मिट जाता हैं और वो फ़ाइल unknown के नाम से हो जाता हैं, हमारा कंप्यूटर उस फ़ाइल को नही पढ़ सकता। फ़िलहाल फिर भी वो फ़ाइल हमारे कंप्यूटर में ही रहता हैं एक unknown फ़ाइल के नाम से। हालांकि जितने साइज़ का वो फ़ाइल रहता हैं उतना साइज़ हमारे कंप्यूटर में फ्री हो जाता हैं। लेकिन सॉफ्टवेयर की मदद से हम उस फ़ाइल को फिर से वापिस पा सकते हैं और फिर उसे हमारा कंप्यूटर पढ़ भी सकता हैं। लेकिन जिस फ़ाइल को हमने डिलीट किया हैं अगर उसी फ़ाइल के लोकेशन में हम किसी दूस

फिल्मों में डिलिवरी सीन के लिए नवजात शिशु कहाँ से लाते हैं? | How Do Movies Get Newborn Babies For Delivery Scenes?

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फिल्मों में डिलिवरी सीन में नवजात शिशु को कहाँ से लाते हैं? आपने फिल्मों में बहुत सारें डिलिवरी सीन देखे होगे. इस सच को तो सब जानते है कि फिल्मों में हिरोइन सच में तो माँ बनती नही है. तो फिर वो नवजात शिशु कहाँ से आते है ? एक संस्था हैं Screen actors guild(SAG) के नाम से, यही संस्था ज्यादातर फिल्मो में नवजात शिशु की सप्लाई करता हैं। फिल्मो में दिखाये गए नवजात बच्चे असली में तभी नही जन्मे होते हैं बल्कि वो कम से कम 15 दिन पहले जन्मे होते हैं। फिल्मो में दिखाये गए नवजात बच्चे की उम्र 15 दिन से 2 महीने तक होती हैं. कभी-कभी या शायद ही कभी कोई फ़िल्म में डिलीवरी का scene दिखाने ले लिये तुरंत जन्मे नवजात बच्चे का इस्तेमाल किया गया हो.. और इसकी शूटिंग ऐसे की जाती हैं:- हॉस्पिटल के रियल डिलीवरी रूम में जहाँ कोई और औरत एक बच्चे को जन्म देने जा रही हो वहा उस बेड के बगल में हिरोइन को लेटा दिया जाता हैं और उसे बस ऐसा एक्टिंग करना होता हैं जैसा उसी का डिलीवरी हो रहा हो, और जब बच्चे का जन्म हो जाता हैं तब उस बच्चे के साथ थोड़ी देर शूट कर के उसे फ़िल्म में दिखाया जाता है। इस सब का एग्रीमें

शीशा असल में किस रंग का होता हैं? | What’s the Color of Mirror?

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शीशा असल में किस रंग का होता हैं? | What’s the Color of Mirror? पहले तो फिर भी थोड़ा कम था लेकिन मोबाइल आने के बाद तो दिन में 10-10 बार शीशा देखना आम हो गया. अब तो लोग screen में ही चेहरा देख लेते है. लेकिन क्या आपको पता है असल में शीशा किस रंग का होता है ? आइए जानते है... वास्तव में किसी वस्तु का रंग इस बात पे निर्भर करता हैं की वो किस रंग को absorb करता हैं। जो वस्तु जिस रंग को absorb कर लेगा वो उसी रंग का हो जाएगा। According to theory, शीशे का कोई रंग नही होता, क्योंकि ये किसी रंग को absord नही करता, मतलब सोखता नही है. बल्कि ये हर रंग को reflect कर देता है। आईने में बहुत सारे हल्के हरे रंग के कण होते हैं.. ये आपको नंगी आंखों से नही दिखते लेकिन अगर आप दो आईनों को आमने-सामने रखेंगे तो आपको आईने का बहुत सारा हिस्सा हल्का हरे रंग का साफ़ दिखाई देगा। हालांकि ये कहना ग़लत नही होगा की शीशे का असली रंग सफ़ेद होता हैं.. क्योंकि सफ़ेद रंग ही सभी रंगो को रिफ्लेक्ट करता हैं। और इसीलिए आयने का पीछे का हिस्सा चाँदी के रंग से रंगा जाता हैं ताकि ये भी किसी रंग को absorb न करें। बल्क

यदि पृथ्वी पर मौजूद सभी इंसान एक साथ छलांग लगाए तो क्या होगा ? | What Would Happen if Everyone Jumped at Once?

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यदि पृथ्वी पर मौजूद सभी इंसान एक साथ छलांग लगाए तो क्या होगा ? अगर सभी इंसान एक ही साथ छलाँग लगाये तो भी इसका इफ़ेक्ट ना के बराबर होगा.. क्योंकि इतने बड़े पृथ्वी पे सभी अलग-अलग जगह पे रहते हैं और सभी के छलाँग का energy जीरो हो जायेगा। लेकिन, यदि सभी इंसान एक ही साथ खड़े होकर एक ही समय पे छलांग लगाते है तो ये सारे परिणाम देखने को मिल सकते हैं: 1. पृथ्वी पे सभी इंसान का वजन करीब 7.3×80 trillion kg होगा.. जो की पृथ्वी के वजन की तुलना में बहुत कम हैं। पृथ्वी का वजन करीब 5.9×10(24)kg हैं। लेकिन फिर भी इतने सारे वजन का एक ही जगह पे छलाँग लगाने से पृथ्वी अपने ऑर्बिट से थोड़ा हट जायेगा.. लेकिन ज्यादा समय के लिए नही, बस कुछ ही वक़्त के बाद वो वापिस अपने अक्ष पे आ जायेगा. 2. कोलंबिया के यूनिवर्सिटी के अध्ययन में scientist ने ये भी अनुमान लगाया की हर इंसान औसतन 30cm ऊपर तक उछल कर तब नीचे की और छलांग लगायेगा.. जिस से एक भयावह आवाज़ पैदा हो सकती हैं, जो शायद आज तक नही हुआ हो। 3. एक supersonic विमान का अधिकतम आवाज़ 150 decibel होता हैं.. लेकिन साइंटिस्ट के अनुसार जब इतने सारे इंसान एक स

क्या सूर्य की रोशनी में वजन होता है ? | Does sunlight have weight ?

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क्या सूर्य की रोशनी में वजन होता है ? हां, सूरज की रौशनी में वजन होता हैं। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक सीनियर लेक्चरर फ्रैंक हैले ने एक शोध के मुताबिक लोगो को यह बताया की सूरज की रौशनी में वजन होता हैं। उन्होंने बताया की सूरज की रौशनी बहुत ही छोटे-छोटे कण से मिल के बनी हैं, जिसे हम "Photon" कहते हैं.. बेशक हर photon के कण का mass zero होता हैं, लेकिन einstien के relativity theory E=mc2 के मुताबिक photon का equivalent energy photon के mass के बराबर होता हैं.. "फ्रैंक हैले" के अनुसार एक कड़ी धूप वाले दिन में अगर सारी धूप को एक जगह इकट्ठा किया जाये तो उनका वजन 3.7×10¹⁴kg होगा.. यह वजन पृथ्वी पे 370 cubic kms पानी के बराबर होगा। उन्होंने इसमें ये भी बताया की अगर आप एक बॉक्स में परफेक्ट शीशे की मदद से धूप को इकट्ठा करें.. तो उसका वजन एक सामान्य बॉक्स से ज्यादा होगा। ऐसा ही एक थ्योरी einstein ने भी दिया था.. उस theory का नाम photo-electric effect था.. इस theory में einstein ने भी यही कहा था की फोटोन का मास जीरो होता हैं लेकिन अपनी energy की वजह से यह मास

एक ही आदमी के 2 नामों के बीच 'उर्फ' क्यों प्रयोग किया जाता है ? Why is the word "urf" used in between two names of the same person?

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Why is the word "urf" used in between two names of the same person? भारत में किसी भी एक आदमी के दो नाम बताने के लिए उर्फ़ एक कानूनन शब्द है. यह एक उर्दू शब्द हैं.. जिसे इंग्लिश में " as known as " शब्द से जाना जाता हैं.. इसे " aka " या " alias " भी कहा जाता हैं.. अगर एक इंसान के दो या दो से अधिक नाम हो तो उस जगह पे उर्फ़ का प्रयोग करते हैं.. और उर्फ़ हमेशा फॉर्मल नाम के बाद इस्तेमाल होता हैं.. जैसे:- गाँधीजी उर्फ़ बापू , अमिताभ बच्चन उर्फ़ बिग बी etc. तो उर्फ़ का मतलब एक तरह से " जाना जाता है " भी होता हैं.. जैसे गाँधीजी अपने दूसरे नाम बापू से भी जाने जाते हैं.. ये हमेशा फॉर्मल नाम के बाद और असली व पब्लिक नाम से पहले इस्तेमाल होता हैं।

DNA पर Negative charge क्यों होता है ? Why is DNA negatively charged ?

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DNA पर Negative charge क्यों होता है ? Why is DNA negatively charged ? सबसे पहले जानते है कि DNA होता क्या है... DNA एक Nucleic Acid है. जैसे protiens और lipids.. ये monomer units से मिल के बनता हैं, जिन्हें " Nucleotides " भी कहा जाता हैं। अब बात करते हैं की DNA पे -ve charge की.. डीएनए पर नेगेटिव चार्ज इसलिए होता है क्योंकि इके structure में negative charge phosphate group होता है. ये फॉस्फेट ग्रुप 5-कार्बन शुगर,नाइट्रोजन बेस और फॉस्फेट से मिल के बनता हैं.. और इसी फॉस्फेट ग्रुप पे नेगेटिव चार्ज होता हैं.. जब ये फॉस्फेट ग्रुप " Phosphodiester bond " के तहत आपस में जुड़ता हैं तो इस सब पे भी नेगेटिव चार्ज आ जाता हैं.. यही कारण हैं की डीएनए पर नेगेटिव चार्ज होता हैं। Some Importat Points of DNA 1. अगर आपके शरीर में मौजूद DNA को खोल दिया जाए तो इसकी लंबाई 10 अरब मील होगी। 2. इंसान के “DNA” का 50 प्रतिशत हिस्सा केले के साथ मिलता-जुलता हैं। 3. DNA की खोज सपने में देखकर हुई है। 4. मनुष्य का D.N.A घोंघे से 70 प्रतिशत और चिम्पेंज़ी से 98.4 प्रतिशत मिलता

क्या किसी मशीन की मदद से हम भूतकाल या भविष्य में जा सकते है ? | Time Travelling is Possible or Not?

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क्या किसी मशीन की मदद से हम भूतकाल या भविष्य में जा सकते है ? भूतकाल या भविष्य में जाना.. इस प्रकार की प्रकिया को time travelling कहते है। Albert einstien ने जो 1915 में general theory of relativity दिया था.. उसमें उन्होंने एक पॉइंट को नोट किया कि..  समय हमेशा एक ही दिशा में travel करता है.. हमेशा आगे की तरफ. तो इसका मतलब हम वापिस भूतकाल में तो जा ही नही सकते. लेकिन भविष्य में जाने की थोड़ी संभावना बनती है. Albert einstien ने 1905 में special relativity theory के तहत ये बताया था की.. light की स्पीड 186000 miles/per second हैं, अगर हम इस आँकड़ा से ज्यादा speed में travel कर पाते है तो हम future में चले जायेंगे. Einstien के special relativity theory के तहत अगर हम light की स्पीड जितनी speed से travel करते हैं (जो की नामुमकिन हैं) या light की speed के relatively close भी travel करते हैं तो समय हमारे लिए धीरे व्यतीत होगा, औरों की तुलना में.. जिसका मतलब हम future में ट्रेवल कर पायेंगे। Einstien के मुताबिक टाइम traveling gravity पे भी depend करता हैं, यही कारण हैं की अंतरिक्ष में रहने वाले gp

क्या दाहिने कान की तरफ से मदद मांगने पर मिलने की संभावना ज्यादा होती है ?

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क्या दाहिने कान की तरफ से मदद मांगने पर मिलने की संभावना ज्यादा होती है ? जी हाँ, यह सच है कि यदि आप किसी के दाहिने कान की तरफ से मदद मांगोगे तो आपको मदद मिलने के चांस थोड़े ज्यादा है बजाय बाएँ कान की तरफ से.. पहले कान के बारे में रोचक तथ्य जानते है: 1. हमारा कान 120 डेसिबल तक की आवाज सुन सकता है इससे ज्यादा आवाज आपके कान के पर्दे को फाड़ सकती है। 2. पहलवानों के कान दूसरे तरह के होते है भरे-भरे से.. इन्हे देशी भाषा में कान टूटना कहते है। 3. हमारे शरीर में सबसे छोटी हड्डी कान की होती है जिसकी लंबाई मात्र 0.11 inch है। 4. ज्यादा खाना खाने से हमारी सुनने की क्षमता थोड़ी कम हो जाती है। 5. हाथी अपने कानों को इसलिए हिलाता है क्योंकि यह अपने शरीर की गर्मी इन्हीं के जरिए निकालता है। 6. मधुमक्खी, साँप और मछली के कान नही होते। अब बात करते है ऊपर दिए गए सवाल की... अमेरिका के वैज्ञानिकों ने 3000 छोटे बच्चों के साथ एक experimemt किया,और उसी में ये बताया की हमारा दाहिना कान बातों को अच्छे से सुनता हैं.. जबकि हमारा बाया कान संगीत को अच्छे से सुनता हैं। यही बात कैलिफ़ोर्निया के एक

किसी को जम्हाई लेते देख हमें भी जम्हाई क्यों आने लगती है ? | Why do we Yawn when we see others?

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किसी को जम्हाई लेते देख हमें भी जम्हाई क्यों आने लगती है ? 55% लोग “उबासी” शब्द पढ़ने के बाद उबासी लेना शुरू कर देते हैं। किसी को जम्हाई यानि उबासी लेते देख हमे भी जम्हाई इसलिये आने लगती हैं क्योंकि... किसी को उबासी लेते देखने से हमारा "ह्यूमन मिरर न्यूरॉन सिस्टम" एक्टिवेट हो जाता हैं। और हम भी उबासी करने लगते हैं। ये ह्यूमन मिरर न्यूरॉन सिस्टम हमारे दिमाग के ऊपरी हिस्से में मौजूद होता हैं.. और किसी को कुछ करते देख ये हमारे दिमाग को वही काम करने के लिए उकसाता हैं, इसे आमतौर पे नक़ल करने की आदत भी कहा जाता हैं। और ये नैचुरली हैं कि किसी को कुछ अजीब करते देख ये न्यूरॉन जल्दी एक्टिवेट हो जाता है। जैसे:- किसी को खुजली करते देखने से हमे भी खुजली होने लगती हैं.. ये न्यूरॉन का एक्टिवेट होना नेचुरल हैं दोस्तों। 2013 में स्विट्ज़रलैंड के शहर म्युनिक के saycartic हॉस्पिटल में इसी के ऊपर एक रिसर्च किया गया था.. इस रिसर्च में कुछ देर के लिए 300 इंसानो को एक वीडियो दिखाया.. इस वीडियो में उबासी लेते हुए सीन थे... और ये पाया गया की इस वीडियो को देखने के दौरान 300 में से 215

क्या यह सच है कि चार्ल्स डार्विन ने जिस भी पशु की खोज की उसे खा गया ? | Charles Darwin Ate Every Animal He Ever Discovered

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क्या यह सच है कि चार्ल्स डार्विन ने जिस भी पशु की खोज की उसे खा गया? 😄 हां दोस्तों, ये सच हैं कि इंसान को बंदर की औलाद बताने वाले चार्ल्स डार्विन ने जिस भी जानवर की खोज की.. उसे ही खा गया। 1831 में डार्विन ने अपने जहाज "बीगल" से एक सफ़र की शरुआत की... और शुरुआत में ही वो पूर्वी प्रशांत महासागर के "गैलापागोस आइलैंड" पे गये... यहाँ पे उन्होंने iguana(एक प्रकार की शाकाहारी छिपकली) और giant tortoise की खोज की और उसे खा गए। उन्हें giant tortoise इतना पसंद आया की उन्होंने 48 और giant tortoise अपने यात्रा के लिए रख लिए😄😄 इसी यात्रा पे उन्होंने armadillos(एक प्रकार के earthworm) की खोज की.. और उसे भी खा गये। उन्होंने रोडेंट्स(आइलैंड पर एक जंगली चूहा)की भी खोज की, और उसे भी खा गये। डार्विन ने खुद कहा था की रोडेंट्स का मांस दुनिया की सबसे अच्छी मांस थी। इसी यात्रा के दौरान 1833 में वो अर्जेंटीना के एक शहर "पेंटागोनिया" में "पोर्ट डिजायर" नाम के आइलैंड पे गये। वहाँ उन्होंने puma(तेंदुआ का एक प्रजाति) को खाया और यही पे उन्होंने rhea(शुतुरमुर्ग का एक प्रजा

जब कोई झूठ बोलता है तो उसकी नाक गर्म क्यों हो जाती है ?

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जब कोई झूठ बोलता है तो उसकी नाक गर्म क्यों हो जाती है ? भाई जब भी हम झूठ बोलते हैं तो हमारे नाक गर्म हो जातीहै... इस सवाल के मद्देनजर 1950 में कुछ वैज्ञानिकों ने इसपे एक्सपेरिमेंटल्ली और प्रॅक्टिकल्ली एक थ्योरी बनायीं... जिसमे उन्होंने बताया की झूठ बोलने से नाक गर्म होना हर स्थिति में नही होता हैं, उसके लिए एक माहौल भी चाहिए। उन्होंने बताया की झूठ कोई ऐसा वाक्य का हों जिसे जज किया जा सके कि ये सच हैं या झूठ.. अगर झूठ सुनने वाला कोई श्रोता हों.. तो वैसे स्थिति में हमारा नाक गर्म हो जाता हैं। और अगर आप ये बात से सहमत नहीं हैं तो आप भी कोई झूठ बोल के देखिये, जैसे:- सूरज पश्चिम से उगता हैं। इस झुठ से आपका नाक गर्म या आपके शरीर पे कोई और प्रभाव नही होगा.. आप चाहे तो इसे आजमा के भी देख सकते हैं। इस झूठ पे नाक गर्म इसलिए नही होगा क्योंकि ये कोई जज करने वाली बात ही नही हैं। तो अब बताते है की आखिर हमारे शरीर में ऐसा होता क्या हैं जो हमारा नाक गर्म हो जाता है। वास्तव् में जब हम झूठ बोलते हैं तो हमारे शरीर में "एड्रेनल ग्लैंड" या हमारा नाक "न्यूरॉन एंड्रेनालाईन&qu

मकड़ी में आग लग जाए तो क्या होगा ? | Killing Spider With Fire

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मकड़ी में आग लग जाए तो क्या होगा ? यदि मकड़ी में आग लगा दी जाए तो यह बारूद की तरह फट जाएगी. वैसे तो तिलती और बिच्छु भी इसी प्रजाति के होते है लेकिन वो तो नही फटते ? क्योंकि मकड़ी के शरीर की बनावट और इनकी बनावट में अंतर है. मकड़ी एक exoskeleton जीव हैं.. यानि इसकी हड्डियाँ शरीर के अंदर नही बल्कि बाहर होती है और मकड़ी के शरीर का बनावट इसके बाकी के प्रजाति से बहुत अलग हैं.. इसका शरीर मुख्यतः दो भागों में बंटा होता हैं.. पहला सिर और दूसरा इसका पूरा शरीर. इसके शरीर में बहुत ज्यादा ही मात्रा में " Venom " नामक केमिकल की बहु ऊर्जा मौजूद होती हैं.. छोटे से शरीर में इतनी ज्यादा ऊर्जा होने की वजह से ही जब इसको जलाते हैं तो यह केमिकल बारूद की तरह फट जाती हैं।

क्या सचमुच चाँदी के गिलास में पानी पीने से गुस्सा कम आता है ? | Benefits of drinking water in silver glass

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क्या सचमुच चाँदी के गिलास में पानी पीने से गुस्सा कम आता है ? हां, वाकई चाँदी के ग्लास में पानी पिने से गुस्सा कम आता हैं। और ये इसलिए होता हैं क्योंकि- चाँदी एक ऐसा धातु हैं जो पानी से ना के बराबर रियेक्ट करता हैं.. और ये पानी में के सारे बैक्टीरिया को मार देता हैं। अगर रात भर चाँदी के ग्लास में पानी को ढक कर रख दिया जाये तो सुबह तक उसके सारे बैक्टीरिया मर जाते हैं.. और उस पानी को पीने से हमारा इम्यून सिस्टम एकदम तंदरुस्त हो जाता हैं.. और ये हमारे हमारे ब्लड प्रेशर( BP) को कंट्रोल करता हैं, और इसलिए हमे गुस्सा कम आता हैं। चाँदी के ग्लास में पानी पीने से और भी बहुत सारे फायदे है.. इसके बारे में पहली बार लोगो को मध्य युग में पता चला था.. उस समय ग्रीस में महामारी चल रही थी.. उस समय एंटीबायोटिक तो थी नहीं तो वहाँ के लोग पानी में चाँदी का सिक्का रखते थे.. ऐसा करने से पैथोजन(एक बैक्टीरिया जिस से महामारी फैलता हैं) मर जाता था..और वो पानी एकदम साफ़ हो जाता था। ऐसे ही बहुत सारे बातों का जिक्र ग्रीस के सीनियर फिलॉसफर " हेरोडौट्स " ने अपने एक लेख में किया था. अब अगली बार पानी चाँदी के

हम खुद को गुदगुदी क्यों नही कर सकते और क्या ज्यादा हंसने से मौत हो सकती है ?

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हम खुद को गुदगुदी क्यों नही कर सकते? | Why It is Nearly Impossible to Tickle Yourself? खुद को गुदगुदी करना लगभग नामुनकिन है. अगर नही यकीन तो करके देख लो... हमे गुदगुदी का एहसास कराने के लिए हमारे अंदर दो cortex मौजूद होते हैं। Somatosensory cortex, जो हमे किसी के छूने का एहसास दिलाता हैं, और " Anterior cingulate cortex", जो हमे गुदगुदी के समय आनंद देता हैं। लेकिन जब हम खुद को गुदगुदी करने की कोशिश करते हैं तो हमारे दिमाग का "Cerebellum" हिस्सा इसका पहले ही अनुमान लगा लेता हैं और ये दोनों cortex को इसकी जानकारी दे देता हैं.. जिसके कारण ये दोनों cortex अपना काम सही से नही करते हैं और यही कारण हैं की हम खुद को गुदगुदी नही कर सकते। लेकिन जब हमे कोई और गुदगुदी करता हैं तो ऐसा नही होता। जिस इंसान को "Schizophrenia" नामक बीमारी हो.. (ये एक प्रकार का पागलपन होता हैं) वो खुद को गुदगुदी कर सकता हैं। क्योंकि ऐसे लोगो का न्यूरॉन सिस्टम लगभग ख़राब होता हैं.. और सेरिबैलम दोनों कोर्टेक्स तक इसकी जानकारी नही पंहुचा सकता, इसलिए ऐसे लोग खुद को गुदगुदी कर सकते है

यदि Coca-Cola बनाने का फाॅर्मूला धरती पर सिर्फ 2 लोग जानते है तो फिर ये पूरी दुनिया में बन कैसे रही है ? | Secret Formula of Coca-Cola

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यदि Coca-Cola बनाने का फाॅर्मूला धरती पर सिर्फ 2 लोग जानते है तो फिर ये पूरी दुनिया में बन कैसे रही है ? हाँ, ये सच है कि कोक बनाने का फाॅर्मूला इस धरती पर मौजूद सिर्फ 2 इंसान जानते है. पहले एक मिथक था, कि दोनों लोग फाॅर्मूला को आधा-आधा जानते है लेकिन ऐसा नही है। फाॅर्मूला को लेकर कंपनी के दो रूल है: 1. जो दो लोग फाॅर्मूला को जानते है वो कभी एक प्लेन में सफ़र नही कर सकते. 2. फाॅर्मूला केवल ईश्वर की मौजूदगी में ही देखा जा सकता है. ये सुरक्षित कैसे है- फाॅर्मूला की original copy एटलांटा के एक बैंक में सुरक्षित रखी गई है, Coca-Cola company सुरक्षा के बदले उस बैंक को अपने स्टाॅक मार्केट के शेयर में से 48.3 million के शेयर देती है। जब ये सब इतना सीक्रेट है तो पूरी दुनिया में कोका-कोला बन कैसे रही है- कोका-कोला में काम करने वालों को इस तरह का कच्चा माल दिया जाता है जिससे उन्हें खुद भी नही पता चलता कि ये किस चीज से बना है। कंपनी के मुख्य प्लांट से उन 2 लोगों की निगरानी में ये फाॅर्मूला x और y नाम के पैकेटों में भरकर पूरी दुनिया में भेज दिया जाता है. फिर इन पैकेट्स के मिश्रण से पूरे विश्व मे

सबसे शक्तिशाली न्यूक्लियर बम कौन-सा है ? | यदि परमाणु युद्ध होने लगा तो धरती की सबसे Safe जगह कौन-सी होगी ?

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सबसे शक्तिशाली न्यूक्लियर बम कौन-सा है और कैसा है. यदि यह अगर फोड़ दिया जाए तो कितना नुकसान होगा ? क्या इससे पूरी धरती खत्म हो जाएगी ? * TSAR BOMBA *- आरडीएस -220 हाइड्रोजन बम, जिसे Tsar Bomba(राजा बम) के नाम से भी जाना जाता है, वह आज तक का सबसे बड़ा और सबसे शक्तिशाली थर्मो परमाणु बम है। सोवियत संघ ने 30 अक्टूबर 1961 को रूसी आर्कटिक सागर में नोवा जेमेलिया द्वीप पर यह विस्फोट किया था। हाइड्रोजन बम एक Tu-95 बॉम्बर द्वारा हवा से गिराया गया था। जिससे विस्फोट 50 एमटी की पैदावार उत्पादित करने वाली जमीन के ऊपर से 4 किमी तक हुआ, जिसने हिरोशिमा बमों  विस्फोट की तुलना से 3800 गुना अधिक शक्ति उत्पन्न की। अगर विस्फोट किया जाए - यह एक जटिल बम है, अगर यह बम किसी बड़े आबादी क्षेत्र में विस्फोट किया जाए, तो 20 मील के रेडियस द्वारा 3 से 5 मील की दूरी में 80 प्रतिशत विनाश होगा । पहले दिन लगभग 10 मिलियन मौतें होने की सम्भावना होगी और 5-10 मिलियन अगले 30 दिनों में। Tsar Bomba में 100 मेगाटन की शक्ति होती है जिससे एक बार में केवल एक ही बड़े शहर का सम्पूर्ण विनाश किया जा सकता है। Tsar Bomba

टाॅयलेट का अविष्कार कब और किसने किया और भविष्य में कैसी टाॅयलेट आने वाली है?

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टाॅयलेट का अविष्कार कब और किसने किया ? | Who Invented Toilet ? टॉयलेट्स सदैव से हमारे रोजमर्रा ज़िन्दगी का एक प्रमुख हिस्सा रहें हैं, फ्लशिंग टॉयलेट्स के द्वारा हमारी ज़िन्दगी बहुत सुविधासंपन्न हो गयी है, टॉयलेट्स का इतिहास- 1. साधारण टॉयलेट- साधारण टॉयलेट्स का कोई अविष्कारक नहीं माना जा सकता या ये मान लिजिए कि ध्यान में नहीं है क्योंकि सन् 2800 ईसापूर्व की कई सभ्यताओं में टॉयलेट्स के उपयोग के साक्ष्य प्राप्त हो चुकें हैं, ये 's' आकार वाले सामान्य टॉयलेट्स थे जिनके साक्ष्य रोमन, हड़प्पा, मोहेन्जो-दारो, सिन्धु घाटी सभ्यताओं की खुदाई के दौरान प्राप्त हुए हैं. अतः सामान्य टॉयलेट्स का अविष्कार बहुत पहले ही हो चूका था जिसके अविष्कारक का पता होना बहुत मुश्किल है। 2. फ्लशिंग टॉयलेट्स- फ्लशिंग टॉयलेट्स के जन्मदाता जॉन हर्रिंगटन माने जाते हैं, जिन्होंने महारानी एलिज़ाबेथ प्रथम के लिए इस टॉयलेट को इजाद किया था, यह टॉयलेट धरती पर सबसे पहले महारानी के महल रिचमंड पैलेस में लगाया गया था, फ्लशिंग टॉयलेट का सबसे पहला पेटेंट सन् 1775 में एलेग्जेंडर कम्मिंग्स के नाम पर हुआ

अगर कोका-कोला के साथ मेन्टोस खायी जाए या इसे नसों में भर दिया जाए तो क्या होगा?

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अगर कोका-कोला के साथ मेन्टोस खायी जाए ? एक मिथक माना जाता है कि अगर Mentos और Coke को साथ-साथ पीया जाए तो ये दोनों साईनाइड का काम करते हैं जिससे आपकी तुरंत मौत हो सकती है, लेकिन असलियत में ऐसा कुछ नहीं होता. अगर हम mentos को coke की बोतल में डाल देतें हैं तो कोक बहुत तगड़ा उफान पैदा करती है, क्योंकि कोक के मेंटोस पर गिरने से mentos की सतह टूट जाती है और इससे mentos के अंदरूनी भाग से Coke प्रतिक्रिया करना शुरू कर देती है और एक जबरदस्त उफ़ान पैदा होता है. ये उफान इतना भी तेज नही होता कि इससे मौत हो जाए. यदि आप पहले mentos निगलकर ऊपर से Coca-Cola पी लें तो इससे केवल अधिक मात्रा में गैस बनेगी जिससे आपको केवल एसिडिटी ही हो सकती है मौत नहीं हो सकती. अब बात करते है कि ये रिएक्ट क्यों करती है : मेन्टोस और कोक का आपस में रिएक्ट करना एक फिजिकल रिएक्शन के कारण होता हैं.. न की केमिकल रिएक्शन के कारण.. जब mentos को coke में डालते है तो मेन्टोस में मौजूद "Gelatin" और gum, कोक में मौजूद "Potassium benzoate" और घुली हुई "Carbondioxide" आपस में react करता हैं