क्या यह सच है कि चार्ल्स डार्विन ने जिस भी पशु की खोज की उसे खा गया ? | Charles Darwin Ate Every Animal He Ever Discovered

क्या यह सच है कि चार्ल्स डार्विन ने जिस भी पशु की खोज की उसे खा गया? 😄


हां दोस्तों, ये सच हैं कि इंसान को बंदर की औलाद बताने वाले चार्ल्स डार्विन ने जिस भी जानवर की खोज की.. उसे ही खा गया।

1831 में डार्विन ने अपने जहाज "बीगल" से एक सफ़र की शरुआत की... और शुरुआत में ही वो पूर्वी प्रशांत महासागर के "गैलापागोस आइलैंड" पे गये...
यहाँ पे उन्होंने iguana(एक प्रकार की शाकाहारी छिपकली) और giant tortoise की खोज की और उसे खा गए। उन्हें giant tortoise इतना पसंद आया की उन्होंने 48 और giant tortoise अपने यात्रा के लिए रख लिए😄😄

इसी यात्रा पे उन्होंने armadillos(एक प्रकार के earthworm) की खोज की.. और उसे भी खा गये। उन्होंने रोडेंट्स(आइलैंड पर एक जंगली चूहा)की भी खोज की, और उसे भी खा गये। डार्विन ने खुद कहा था की रोडेंट्स का मांस दुनिया की सबसे अच्छी मांस थी।

इसी यात्रा के दौरान 1833 में वो अर्जेंटीना के एक शहर "पेंटागोनिया" में "पोर्ट डिजायर" नाम के आइलैंड पे गये। वहाँ उन्होंने puma(तेंदुआ का एक प्रजाति) को खाया और यही पे उन्होंने rhea(शुतुरमुर्ग का एक प्रजाति) की खोज की और उसे खाया भी।😀

इसी जगह पे उनके साथ एक अजीब घटना घटी... दिसम्बर 1833 में जब डार्विन और उनके साथियों ने क्रिसमस डिनर के लिये कुछ rhea और तेंदुआ पकड़ा।

जब डिनर के समय डार्विन तेंदुआ और कुछ और जानवर का मांस खा रहे थे तभी उन्होंने गौर किया की जिस rhea को उनके साथी आग पे पका रहे हैं वो कुछ अलग हैं। वो बाकी rhea से height में कुछ छोटी थी,और कुछ अलग भी।

डार्विन ने तुरंत अपने खाने पे से उठ के उस rhea को बचाया और उसे एक extinct(यानी जो प्रजाति लगभग धरती पे ना के बराबर हो) जानवर बताया.. उस rhea का बहुत अंग जल चूका था,हालांकि उसके सिर, पँख और बहुत हिस्से सही थे।

डार्विन ने उस rhea को लंदन के एक जूलॉजिकल सोसाइटी में john gould के पास भेज दिया।
बहुत रिसर्च के बाद gould ने ये पाया की सही में वो एक दुर्लभ rhea था.. और 1837 में gould ने उस rhea का नाम "rhea darwilinii" चार्ल्स डार्विन के नाम के ऊपर रखा।

तो दोस्तों इसका जवाब हैं:- हां, डार्विन उन सभी जानवरों को खा जाता था,जिनकी वो खोज करता था।

और जो बाते मैंने ऊपर लिखी है.. इसमें से कोई झूठ नही है.. इन सभी बातो को डार्विन ने खुद स्पष्ट करते हुए अपने किताब "On the origin of Species" में लिखी हैं।

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